अनजानी का शहर दंगों से घिरा हुआ था, अनजानी और उनका परिवार अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। 28 फरवरी को, अनजानी और उसके परिवार के 16 सदस्यों ने अपनी जान बचाने के लिए घर छोड़ने का फैसला किया | उस वक्त अनजानी की उम्र 21 साल थी अनजानी की साढ़े तीन साल की बेटी थी और अनजानी 5 महीने की गर्भवती भी थी | अनजानी की दो बहनें, दो भाई, उसके माता-पिता, चाचा और चचेरे भाई-बहन अपना गांव छोड़कर पैदल ही चल पड़े।
अनजानी और उनका परिवार अगले दिन पास के गाँव में रुक जाते है | अनजानी की चचेरी बहन भी गर्भवती थी, जहां सुबह करीब 10 बजे उसने एक बच्ची को जन्म दिया | उन्होंने बिना किसी चिकित्सीय सहायता के एक बच्ची को जन्म दिया |
दो दिन बाद अनजानी का परिवार छापरवाड़ गांव पहुंचा इसी दौरान जब वे दो छोटी पहाड़ियों के बीच से गुजर रहे थे तो उनके सामने दो गाड़ियां रुकीं, जिनमें 30 से 40 लोग सवार थे | उनमें से कुछ अनजानी गांव के ही थे यह सभी दूसरे समुदाय के थे उनके हाथों में लाठी-डंडे, भाले और धारदार हथियार थे
इसी भीड़ में से एक शख्स तलवार लेकर आगे आता है जिन्हें अनजानी बचपन से चाचा कहकर बुलाती थी, उसका घर अनजानी के घर के बगल में ही था लेकिन आज वह शख्स अनजानी और उसके परिवार के लिए खतरा था | उसने भीड़ को उन सभी को खत्म करने का आदेश दिया |
उस भीड़ में ज्यादातर लोग अनजानी के जान पहचान के थे, वे आगे बढ़ते हैं | भीड़ अनजानी और उसके परिवार पर हमला करती है और अनजानी के परिवार के सभी पुरुषों को मार दिया जाता है। इसके बाद उन लोगों ने अनजानी और उसके परिवार की महिलाओं के साथ बलत्कार किया |
अनजानी की चचेरी बहन जिसने 2 दिन पहले एक बच्ची को जन्म दिया था और वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, उसके साथ भी बलात्कार किया जाता है और उसकी दर्दनाक मौत हो जाती है। साथ ही 2 दिन पहले जन्मी बच्ची की भी मौत हो गई है | आख़िर उस बच्ची का क्या कसूर था जो 2 दिन पहले इस दुनिया में आई थी | उस बच्ची को पता भी नहीं था कि धर्म के नाम पर दुनिया शैतान बन गई है |
अनजानी के सामने ही उनके परिवार की महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है | अनजानी के सामने ही उसकी साढ़े तीन साल की बेटी की भी हत्या कर दी गयी अब उनका अगला शिकार अनजानी थी, अनजानी ने अपनी गर्भवती स्थिति का हवाला दिया और उन हैवानों के सामने अपनी जान की भीख मांगी। लेकिन उन्होंने अनजानी की एक बात नहीं सुनी और उसको अपनी हवस का शिकार बना लिया |
वह सभी अनजानी और उसके परिवार को मारकर चले जाते हैं, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था | करीब तीन घंटे बाद अनजानी को होश आने लगा | इस बीच, अनजानी इधर-उधर देखती है तो उनके परिवार के सभी लोग इस दुनिया में नहीं थे | अनजानी के पेट में 5 महीने का बच्चा था, वह भी इस दुनिया में आने से पहले ही जा चुका था |
अनजानी की कहानी सुनकर हर किसी की आंखों में आंसू आ जाते हैं अगर आपकी आंखों में भी आंसू हैं तो यह आपके कोमल हृदय और इंसानियत की भावना को दर्शाते हैं | आपको अनजानी के लिए हमदर्दी है क्यूंकि अपने अनजानी को इंसानियत की नज़र से देखा है | अगर इस घटना को धर्म के नजरिए से देखा जाए तो इसके नतीजे बदल जाते हैं |
अनजानी का नाम बिलकिस बानो है, जो गुजरात दंगों की पीड़िता है | उसके बलात्कारियों के नाम हैं-जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिनचंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोरढिया, बाका भाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना।
अगर अनजानी के लिए आपकी आंखों में आंसू हैं, लेकिन बिलकिस बानो के लिए आपकी आंखों में आंसू नहीं हैं, तो यकीन मानिए कट्टरपंथियों ने आपके दिल में नफरत भर दी है | आपको इंसान से शैतान बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है | आपको खुद को इस नफरत से बचाना होगा और उन जानवरों जैसा बनने से बचना होगा |
होश में आने के बाद उसने एक आदिवासी महिला से कपड़े मांगे और एक होम गार्ड जवान के साथ लिमखेड़ा पुलिस थाने तक गईं | थाने में मौजूद हेड कांस्टेबल सोमाभाई गोरी ने तहरीर ठीक से नहीं लिखी | आरोप पत्र के मुताबिक, शिकायत लिखते समय कांस्टेबल ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया और मामले की गलत कहानी पेश की |
गायब थीं लाशों की खोपड़ियां
गोधरा के राहत शिविर में पहुंचने पर ही बिलकिस की चिकित्सकीय जांच हो सकी | सीबीआई ने अपनी जांच में दावा किया कि आरोपियों को बचाने के लिए पीड़ितों के पोस्टमार्टम में भी धांधली की गई। जब सीबीआई अधिकारियों ने पीड़ितों के शवों को बाहर निकाला, तो उन्होंने पाया कि सभी सात शवों की खोपड़ियां गायब थी। सीबीआई ने कहा कि पोस्टमॉर्टम के बाद पीड़ितों की खोपड़ी को नष्ट कर दिया गया ताकि उनके शवों की पहचान न हो सके |
2002 में सबूतों के अभाव में मामले की जांच रोक दी गई थी, फिर हंगामा मच गया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी| गुजरात में न्याय की कोई संभावना न देखकर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित कर दिया और जनवरी 2008 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने 11 लोगों को बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया और सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इसके बाद सभी बलात्कारी अपने-अपने कानूनी रास्ते तलाशने लगे। उन्होंने विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसे मई 2017 में खारिज कर दिया गया।
लेकिन इसी बीच गुजरात सरकार ने बिलकिस को मुआवज़ा राशि देने की पेशकश की | राज्य सरकार ने सामूहिक बलात्कार, हत्या और न्याय के लिए 5 लाख रुपये की कीमत तय की थी| बिलकिस ने यह मुआवज़ा लेने से इनकार कर दिया और उचित मुआवज़े के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की |अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को बिलकिस को 50 लाख रुपये का मुआवजा, एक घर और एक नौकरी देने का आदेश दिया।
लेकिन कुछ साल बाद ही सभी आरोपियों को जेल से बाहर निकालने का सिलसिला शुरू हो गया | इस मामले में आरोपी राधेश्याम शाह ने मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट से सजा में राहत देने की अपील की | इस रियायत को रिमीशन कहा जाता है। यह अपराध या सज़ा के चरित्र को नहीं बदलता है। बस की अवधि कम कर दी जाती है | इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस राज्य में अपराध हुआ है, उस राज्य की नीतियों के मुताबिक सजा में छूट की याचिका पर विचार किया जा सकता है | उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात सरकार को समिति रिमीशन पर विचार करना चाहिए | ध्यान रहे कि यह आदेश केवल विचार तक ही सीमित था, execution पर कोई स्पष्ट बात नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को ढाल बनाकर गुजरात सरकार ने 9 लोगों की एक कमेटी बनाई, जिसमें से 5 बीजेपी नेता थे |
समिति का विवरण देखें-
> पंचमहल के पुलिस अधीक्षक
>गोधरा जेल का सुपरिटेंडेंट
> पंचमहल के जिला कल्याण अधिकारी
> गोधरा सेशन जज
> गोधरा से भाजपा विधायक सीके राउलजी
> कलोल से भाजपा विधायक सुमनबेन चौहान
>भाजपा के गुजरात कार्यकारिणी सदस्य पवन सोनी
> गोधरा तहसील भाजपा इकाई अध्यक्ष सरदार सिंह बारिया पटेल
> गोधरा में भाजपा महिला इकाई की उपाध्यक्ष विनीताबेन लेले
इस कमेटी ने 14 अगस्त को फैसला लिया कि सभी 11 बलात्कारियों को जेल से रिहा कर दिया जाएगा | आप जानना चाहेंगे कि कौन से कारण बताये गये। गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राज कुमार ने तब इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, ”माफी देते समय 14 साल की सजा पूरी होने, उम्र, अपराध की प्रकृति, जेल में व्यवहार जैसे कारकों पर विचार किया गया था ।”